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*** Bekasoor Shayari in Hindi ***
सज़ा ना दो मूज़े बेकसूर हूँ मैं,
थाम लो मुझको गमों से चूर हूँ मैं,
तेरी दूरी ने कर दिया पागल सा मुझे,
और लोगों का कहना हैं के मगरूर हूँ मैं.
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सारे रिश्ते टूट के चूर चूर हो गये,
वो धीरे धीरे हमसे दूर हो गये,
मेरी ख़ामोशी मेरी गुनाह बन गयी,
और
वो गुनाह करके भी बेकसूर हो गये.
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वो मेरा है तो वो मुझसे दूर क्यूँ हैं?
दूर रहकर जीने को हम मजबूर क्यूँ हैं?
गुनाह(प्यार)हम दोनो ने किया था एक जैसा,
तो मेरा कसूर क्यूँ है और वो बेकसूर क्यूँ है..
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यही तो गुनाह था मेरा की मैं बेकसूर था
ना चाहते हुए उनसे बहुत दूर था
चाहत थी बस उनको पाने की
मगर क्या करता दुनिया को ये नामंज़ूर था
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*** बेकसूर शायरी ***
हमने जब इस ज़िंदगी को समझा तब हम इस ज़िंदगी से दूर थे
हमने मरना भी चाहा पर उन के लिए.. जीने को मजबूर थे
हम ने हर सज़ा हस कर काबुल की.. सर झुका कर उन के लिए
बस कसूर इतना था हमारा की बेकसूर थे हम.
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*** Bekasur Poem ***
Kabhi pass aa gaye,
kabhi dur ho gaye,
unhone ek baar bhi mudkar na dekha hume,
par hum unke liye bewafa zarur ho gaye,
kya galti hui humse hum puchte rahe,
aur woh kehte rahe hum majhbur ho gaye,
hum mangte rahe dua unki khushiyon ki,
woh hume chodh kisi aur ki ankho ke noor ho gaye,
woh sochte rahe k khush hai hum,
par hum tut kar andar tak chakna chur ho gaye,
mujhe pyar karne ki mili itni badi saza
aur woh hume maarkar bhi Bekasur ho gaye..
Ab Bas Hum BEWAFA Aur Woh Bekasur Ho Gaye…
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जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।
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बहुत कातिल अंदाज है खुद की बेगुनाही साबित करने का…
“सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम…”
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*** 2 Line Bekasoor Shayari ***
हम बेक़सूर लोग भी बड़े दिलचस्प होते हैं,
शर्मिंदा हो जाते हैं ख़ता के बग़ैर भी !!
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बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे,
बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.
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