Bagawat Hindi Shayari | Latest बगावत शायरी

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Bagawat Hindi Shayari | Latest बगावत शायरी

*** Bagawat Hindi Shayari ***


अपने थे जो, उन्होंने कुछ यूँ बगावत दिखाई, 
जिनसे मेरी बनी नही, उन्होंने उन्ही से यारी निभाई।।
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ऐ इश्क़ मत कर बगावत तेरी बात गलत है, 
नहीं मानेंगी ये दुनिया उसकी जात अलग है
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सुना है मोहब्बत ने बगावत कर दी , 
इल्जामओं का सैलाब आने वाला है।

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*** Latest बगावत शायरी ***

इश्क़ में कैसे कर लेते हैं बगावत 
सबसे मैं भी कहता था इश्क से पहले-पहले

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चलती जो दिल में उसके वो बगावत पूछती है , 
वो मुझ रात से चाँदनी की चाहत पूछती है ! 
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बेगुनाह होकर भी, कैद थे वह कैदखाने मे, 
बगावत के रास्ते फिर, हजारों थे जज्बातों के सामने!
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*** Attitude Bagawat Hindi Shayari ***

तू जमाने से बगावत तो कर सारी दुनियाँ से लङने के हमारे इरादे हैँ
होगी तू हसीन राजकुमारी तो क्या हुआ हम भी बिगङे शहजादे हैँ
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कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आए
और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी
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बगावत सीने मे लेकर कोई पैदा नही होता...
ये तो हालात है जो इंसान को बागी बना देता है...!!
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कत्ल तो कई नज्म हुए, गज़लों की सजावट देखकर! 
हंगामा ही हो गया बज्म में, 'मिशरे' की बगावत देखकर!!
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इस बग़ावत का भी क्या फायदा है 
"जनाब" जब आपको हम से ही गिला है 

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