भगवान के भरोसे - हिंदी कहानी

भगवान के भरोसे  - हिंदी कहानी

भगवान के भरोसे - हिंदी कहानी


किसी एक गाँव में एक मेहनती साधू रहते थे जो दिन रात कड़ी तपस्या करते थे और उनका भगवान पर अटूट विश्वास था|

एक बार गाँव में बहुत तेज बारिश हुई| अदभुद द्रिश्य का नज़ारा था ! बढ़ते हुए पानी को देखकर गाँव वाले सुरक्षित स्थान पर जाने लगे|

लोगों ने उस साधू को सुरक्षित स्थान पर चलने को कहा, लेकिन साधू ने यह कहकर मना कर दिया कि – " तुम लोग जाओ मुझे मेरे भगवान पर पूरा भरोसा है, वे मुझे बचाने जरूर आएँगे| "

धीरे धीरे पूरा गाँव पानी से लबालब हो गया और पानी साधू के घुटनों तक आने लगा तभी वहां पर एक गाड़ी आई और उसमें सवार व्यक्ति ने साधू को गाड़ी में आने के लिए कहा लेकिन साधू ने फिर यह कहकर मना कर दिया – 
" मुझे तुम्हारी कोई आवश्यकता नहीं, मुझे मेरा भगवान जरूर बचाने आएगा | "

ये सुनकर गाड़ी वाला वहां से चला गया

पानी बढ़ने लगा और साधू भगवान को याद करने लगा तभी वहां पर एक नांव आई |

बचावकर्मी ने कहा – " जल्दी से आइये मुनिवर, मैं आपको सुरक्षित स्थान पर छोड़ देता हूँ | "

साधू ने कहा – " मेरे भगवान मुझे बचाने जरूर आयेंगे, तुम यहाँ से चले जाओ | "

बचावकर्मी ने कहा – " गुरुवर मुझे अन्य लोगों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना है, आप समय बर्बाद मत कीजिए, जल्दी आइये "

लेकिन साधू ने अपनी जिद नहीं छोड़ी

आख़िरकार वह नांव वाला अन्य लोगों को बचाने के लिए वहां से चला गया|

कुछ ही देर बाद साधू बाढ़ में बह गए और उनकी मृत्यु हो गयी |

मरने के बाद साधू जब स्वर्ग पहुंचे तो उन्होंने 
भगवान से कहा – “हे भगवान मैंने कई वर्षों तक कड़ी तपस्या की और आप पर इतना विश्वास किया लेकिन आप मुझे बचाने नहीं आये , ऐसा क्यू ? "

भगवान ने कहा – " मैंने तुम्हे बचाने एक बार नहीं बल्कि तीन बार प्रयत्न किया | तुम्हे क्या लगता है – तुम्हारे पास लोगों को, गाड़ी को और नावं को किसने भेजा था ? "

Moral of Story

1. भगवान उसी की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करता है |
2. असफलता केवल दो तरह की होती है –
     पहली असफलता अवसर को न पहचानना हैं और
     दूसरी असफलता अवसर को पहचानने के बाद भी प्रयास न करना है|