150 वी गांधी जयंती : बापू के चार पुत्रों की कहानी

150 वी गांधी जयंती : बापू के चार पुत्रों की कहानी, आखिर क्यों पिता से दूर हो गए थे बड़े बेटे?

2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता Mahatma Gandhi Ji की 150वीं जयंती है। आज हम यहा गाँधी जी क परिवार क बारे में बात करेंगे. गांधी जी की 150वीं जन्म शताब्दी पर देश और दुनिया भर में कई तरह के कार्यक्रम होंगे। इस दौरान गांधी जी के जीवन से लेकर उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन के हर छोटे-बड़े हिस्से को याद किया जाएगा। 

जितना गांधी जी ने राष्ट्र के आंदोलन में सक्रिय सहयोग दिया वैसी ही सहभागिता उनकी जीवनसंगिनी बा कस्तूरबा ने भी दी। यही नहीं गांधी जी के सभी पुत्रों ने भी राष्ट्र की आजादी के लिए योगदान दिया। वैसे तो काफ़ी लोगो को उनके 4 पुत्रो क बारे में ही जानकारी है पर बापू क 5 बेटे थे, 1 बेटा जन्म क कुछ दीनो बाद ही स्वर्ग प्राप्ति कर गया.

आइए जानें गांधी जी के चारों  पुत्रों की कहानी और कुछ बातें उनके बारे मे ! महात्मा गांधी के चार पुत्र थे। 

1. Hiralal Gandhi - हरिलाल गांधी
2. Manilal Gandhi - मणिलाल गांधी 
3. Ramdas Gandhi - रामदास गांधी 
4. Devdas Gandhi - देवदास गांधी 


1. Hiralal Gandhi - हरिलाल गांधी

Hiralal Gandhi - हरिलाल गांधी

मोहनदास करमचंद गांधी जी यानी के महात्मा गाँधी जी के सबसे बड़े पुत्र थे हरिलाल गांधी। उनका जन्म 23 ऑगस्ट 1888 को हुआ था. गांधी जी के ज्येष्ठ पुत्र हरिलाल गांधी का जीवन बापू के जीवन के प्रति विपरित और विवादित रहा। जीवन के प्रति नैतिक आचरण का जो संकल्प और जोर बापू के पास रहा वैसा हरिलाल में नहीं दिखाई दिया।

जीवन के कई फैसलों से उन्होंने बापू को तकलीफ भी पहुंचाई। हालांकि बड़े पुत्र के प्रति बापू की जिम्मेदारियों को लेकर भी कई तरह के बातें सामने आईं। उल्लेखित पत्रों और गांधी जीवन के जानकार विद्वानों के मुताबिक हरिलाल गांधी की अपने पिता से बहुत सी इच्छाएं और अपेक्षाएं थीं जिन पर एक पिता के रूप में बापू खरे नहीं उतरे।

हरिलाल अपने जीवन को अपनी तरह से व्यतीत करना चाहते थे। लेकिन कई जानकारों के मुताबिक अपने बड़े पुत्र हरिलाल की कई आदतों और इच्छाओं को पूरी करने की इजाजत गांधी जी ने नहीं दी। गांधी जी के पत्र के अनुसार हरिलाल विदेश जाकर वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे और पिता की तरह की बड़ा बैरिस्टर बनने की चाहत रखते थे। लेकिन गांधी जी का मानना था कि विदेश में मिली शिक्षा किसी भी तरह से ब्रिटिश राज को खत्म करने में सहायक नहीं होगी। साथ ही पिता गांधी अपने पुत्र के शराब और विलासी जीवन से अत्यन्त ही दुखी और परेशान रहते थे।

1948 में पिता की मृत्यु से एक महीना पहले ही पुत्र हरिलाल का देहांत हो गया।

Manilal Mohandas Gandhi